Sunday, December 22, 2024
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अच्छी नींद आने के लिए घरेलू उपाय (Home remedies for good sleep)

नींद हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। अच्छी नींद (sleep) हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। लेकिन आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में बहुत से लोग नींद न आने की समस्या से जूझ रहे हैं। यदि आप भी रात को अच्छी नींद नहीं ले पा रहे हैं, तो कुछ घरेलू उपाय अपनाकर आप इस समस्या से निजात पा सकते हैं। यहां हम आपको अच्छी नींद आने के लिए कुछ सरल और प्रभावी घरेलू उपाय बता रहे हैं।

1. दूध और शहद का सेवन

रात को सोने से पहले एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से नींद अच्छी आती है। दूध में ट्रिप्टोफैन नामक एमिनो एसिड होता है जो नींद को बढ़ावा देता है, और शहद रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर रखने में मदद करता है, जिससे नींद में खलल नहीं पड़ता।

2. हर्बल चाय

कैमोमाइल, पुदीना, और लैवेंडर जैसी हर्बल चाय तनाव को कम करती हैं और नींद को प्रेरित करती हैं। सोने से पहले एक कप हर्बल चाय पीने से शरीर और मन को आराम मिलता है, जिससे नींद अच्छी आती है।

3. तिल का तेल मालिश

तिल का तेल आयुर्वेद में विशेष महत्व रखता है। सोने से पहले पैरों के तलवों और सिर की तिल के तेल से मालिश करने से शरीर में तनाव कम होता है और नींद में सुधार होता है। तिल का तेल शरीर को गर्मी प्रदान करता है और रक्त संचार को बढ़ाता है, जिससे नींद अच्छी आती है।

4. नियमित दिनचर्या

नियमित समय पर सोने और जागने की आदत डालना बहुत महत्वपूर्ण है। हर रोज एक ही समय पर सोने और जागने से शरीर की बायोलॉजिकल घड़ी सही रहती है और नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है। कोशिश करें कि सप्ताहांत में भी इस नियम का पालन करें।

5. हल्का भोजन

रात के खाने में हल्का और सुपाच्य भोजन करें। भारी और तली-भुनी चीजें खाने से पेट में गैस और अपच की समस्या हो सकती है, जिससे नींद प्रभावित हो सकती है। सोने से कम से कम दो घंटे पहले भोजन कर लें, ताकि पाचन प्रक्रिया पूरी हो जाए।

6. योग और ध्यान

योग और ध्यान मन और शरीर को शांत करने का सबसे अच्छा तरीका है। प्रतिदिन सुबह और शाम को योग और ध्यान करने से मानसिक तनाव कम होता है और नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है। श्वास-प्रश्वास तकनीकों का अभ्यास करने से भी नींद में सुधार होता है।

7. इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से दूर रहें

सोने से पहले मोबाइल फोन, टैबलेट और लैपटॉप जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग नहीं करें। इनसे निकलने वाली नीली रोशनी मेलाटोनिन नामक हार्मोन के उत्पादन को प्रभावित करती है, जो नींद को नियंत्रित करता है। सोने से कम से कम एक घंटे पहले इन उपकरणों का उपयोग बंद कर दें।

8. वातावरण को अनुकूल बनाएं

सोने का वातावरण आरामदायक होना चाहिए। कमरे का तापमान, रोशनी और शोर का स्तर नींद को प्रभावित करता है। कमरे को ठंडा, अंधेरा और शांत रखें। अगर शोर अधिक है, तो कानों में प्लग का उपयोग करें। अगर रोशनी अधिक है, तो आंखों पर मास्क लगाएं।

9. बिस्तर का सही उपयोग

बिस्तर का उपयोग केवल सोने और आराम के लिए करें। बिस्तर पर बैठकर काम करना या टीवी देखना नींद के लिए हानिकारक हो सकता है। बिस्तर का उपयोग केवल सोने के लिए करें, ताकि मस्तिष्क इसे नींद से जोड़ सके।

10. आहार में सुधार

आहार में मैग्नीशियम और ट्रिप्टोफैन से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करें। मैग्नीशियम से भरपूर खाद्य पदार्थों में बादाम, पालक, कद्दू के बीज आदि शामिल हैं। ट्रिप्टोफैन से भरपूर खाद्य पदार्थों में केला, दूध, दही, मुर्गी का मांस आदि शामिल हैं। इनसे नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है।

11. नियमित व्यायाम

प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट का व्यायाम करना नींद के लिए बहुत लाभकारी है। व्यायाम से शरीर में तनाव कम होता है और नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है। लेकिन ध्यान रखें कि सोने से ठीक पहले व्यायाम न करें, क्योंकि इससे शरीर में ऊर्जा बढ़ जाती है और नींद आने में कठिनाई हो सकती है।

12. प्राकृतिक तेलों का उपयोग

लैवेंडर, कैमोमाइल, और यलंग यलंग जैसे प्राकृतिक तेलों का उपयोग भी नींद में सुधार कर सकता है। इन तेलों की कुछ बूंदों को तकिये पर या डिफ्यूजर में डालकर सोने से पहले कमरे में फैलाएं। इनकी खुशबू से मानसिक शांति मिलती है और नींद में सुधार होता है।

13. सकारात्मक सोच

सकारात्मक सोच और मानसिक शांति नींद के लिए आवश्यक है। दिनभर की चिंताओं को छोड़कर, सोने से पहले कुछ सकारात्मक सोचें। अपने आप को अच्छा महसूस कराने के लिए ध्यान और प्रार्थना का सहारा लें।

14. भरपूर पानी पिएं

दिनभर में भरपूर मात्रा में पानी पिएं, लेकिन सोने से पहले अधिक पानी पीने से बचें। अधिक पानी पीने से रात में बार-बार बाथरूम जाने की आवश्यकता हो सकती है, जिससे नींद में खलल पड़ता है।

15. शराब और कैफीन से बचें

सोने से पहले शराब और कैफीन का सेवन न करें। ये पदार्थ नींद को प्रभावित कर सकते हैं। कैफीन से शरीर में ऊर्जा बढ़ जाती है और शराब से नींद की गुणवत्ता कम हो जाती है।

निष्कर्ष

अच्छी नींद के लिए ये घरेलू उपाय बहुत प्रभावी हैं। इन्हें अपनी दिनचर्या में शामिल करें और देखें कि कैसे आपकी नींद में सुधार होता है। यदि फिर भी नींद की समस्या बनी रहती है, तो किसी विशेषज्ञ से परामर्श लें। अच्छी नींद से ही आप ताजगी और ऊर्जा से भरपूर रह सकते हैं और जीवन का आनंद ले सकते हैं।

आपका पेट आपको क्या बता रहा है? Food Poisoning के लक्षण और उपचार

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कभी बाहर का स्वादिष्ट चटपटा खाना खा लिया या फिर जल्दी में बिना गर्म किए फ्रिज का बचा हुआ खाना खा लिया और फिर पेट बिगड़ गया? ये तो फूड पॉइजनिंग हो सकती है!

आज हम इसी food poisoning के बारे में जानेंगे. ये क्या है, क्यों होती है और इससे कैसे बचें, ये सब सीखेंगे ताकि आप स्वादिष्ट खाना एन्जॉय करते रहें!

फूड पॉइजनिंग क्या है? (What is Food Poisoning?)

फूड पॉइजनिंग एक ऐसी बीमारी है जो खराब या दूषित खाने-पीने की चीजों के सेवन से होती है. इन खानों में हानिकारक बैक्टीरिया, वायरस या परजीवी (छोटे जीव) हो सकते हैं जो हमारे पेट को खराब कर देते हैं.

Food Poisoning

फूड पॉइजनिंग के लक्षण (Symptoms)

अगर आपको अचानक से पेट में दर्द, उल्टी या दस्त हो रहा है तो ये फूड पॉइजनिंग के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं. इसके अलावा बुखार और कमजोरी भी महसूस हो सकती है.

क्यों होती है फूड पॉइजनिंग? (Causes)

कई कारणों से फूड पॉइजनिंग हो सकती है, जैसे:

  • खराब तरीके से पका हुआ खाना: कच्चा मांस, अंडा या अधपका खाना खाने से फूड पॉइजनिंग का खतरा रहता है.
  • दूषित पानी पीना: गंदा या दूषित पानी पीने से भी ये बीमारी हो सकती है.
  • एक्सपायरी हो चुकी चीजें खाना: दूध, डेयरी उत्पाद या कोई भी पैकेट बंद चीज अगर एक्सपायरी हो चुकी है तो उसे खाने से बचें.
  • फल और सब्जियां ठीक से ना धोना: कटे हुए फल या सब्जियों को अच्छी तरह धोए बिना खाना भी फूड पॉइजनिंग का कारण बन सकता है.
  • साफ-सफाई ना रखना: खाना बनाने और खाने से पहले साबुन से हाथ धोना बहुत जरूरी है. गंदे हाथों से खाना खाने से भी फूड पॉइजनिंग हो सकती है.

फूड पॉइजनिंग का इलाज (Treatment)

अधिकांश मामलों में फूड पॉइजनिंग हल्की बीमारी होती है और कुछ दिनों में अपने आप ठीक हो जाती है. इस दौरान खूब सारे तरल पदार्थ पीना और आराम करना फायदेमंद होता है.

लेकिन अगर लक्षण गंभीर हों या लंबे समय तक बने रहें, तो डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.

फूड पॉइजनिंग से कैसे बचें? (How to Prevent Food Poisoning)

कुछ सावधानी बरतकर आप फूड पॉइजनिंग से आसानी से बच सकते हैं:

  • हमेशा साफ और अच्छी तरह से पका हुआ खाना खाएं.
  • कच्चे फल और सब्जियों को अच्छी तरह धोकर ही खाएं.
  • पैकेट बंद चीजों की एक्सपायरी डेट जरूर देखें.
  • खाना बनाने और खाने से पहले साबुन से हाथ धोएं.
  • बाहर का खाना खाते समय सावधानी बरतें और साफ-सुथरी जगहों से ही खाना लें.

Best Summer Skincare Tips: गर्मी में भी पाएं ग्लोइंग स्किन।

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गर्मियों का मौसम आते ही हमारी ख़ुशियाँ दोगुनी हो जाती हैं, लेकिन साथ ही त्वचा से जुड़ी परेशानियां भी बढ़ जाती हैं. तेज धूप, उमस भरी गर्मी और पसीना इन सबका असर हमारी त्वचा पर साफ़ दिखाई देता है. त्वचा oily हो जाती है, pimple निकल आते हैं और उसका प्राकृतिक निखार खो जाता है.

लेकिन घबराने की ज़रूरत नहीं है! कुछ आसान से बदलाव करके आप गर्मियों में भी अपनी त्वचा को स्वस्थ और खूबसूरत बनाए रख सकती हैं.
गर्मियों में त्वचा से जुड़ी कई तरह की समस्याएं सामने आती हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:

तैलीय त्वचा (Oily Skin): गर्म मौसम में त्वचा की सीबम ग्रंथियां ज़्यादा तेल का उत्पादन करती हैं, जिससे त्वचा चिपचिपी और तैलीय हो जाती है.
मुंहासे (Acne): तैलीय त्वचा के कारण रोमछिद्र बंद हो जाते हैं, जिससे मुंहासे निकलने की संभावना बढ़ जाती है.
टैनिंग और हाइपरपिगमेंटेशन (Taning aur Hyperpigmentation): सूरज की तेज किरणें त्वचा को काला कर देती हैं और असमान रंगत का कारण बनती हैं.
रूखापन और जलन (Dryness and Irritation): धूप, प्रदूषण और एयर कंडीशनर के कारण त्वचा रूखी हो सकती है और जलन महसूस हो सकती है.

गर्मियों के लिए स्किनकेयर रूटीन (Summer Skincare Routine)
इन समस्याओं से बचने और गर्मियों में भी खूबसूरत त्वचा पाने के लिए एक नियमित स्किनकेयर रूटीन बहुत ज़रूरी है. आइए जानते हैं गर्मियों के लिए एक बेहतरीन स्किनकेयर रूटीन के अलग-अलग स्टेप्स के बारे में:

1.क्लेंज़र (Cleansing)

सुबह और शाम को चेहरा धोएं : दिन में दो बार चेहरा धोना ज़रूरी है. सुबह में रात भर जमे तेल और पसीने को हटाने के लिए और शाम को प्रदूषण और धूल को हटाने के लिए चेहरा धोएं.
हल्के क्लेंज़र का इस्तेमाल करें : तैलीय त्वचा के लिए भी ऐसे फेस वॉश का इस्तेमाल करें जो बहुत ज़्यादा झाग ना करे और त्वचा को रूखा ना बनाए.
मिक्सर माइसेलर वॉटर का इस्तेमाल करें : माइसेलर वॉटर एक हल्का क्लेंज़र है जो मेकअप, प्रदूषण और अतिरिक्त तेल को हटाने में मदद करता है. संवेदनशील त्वचा के लिए भी यह अच्छा विकल्प है.
चेहरे को गर्म पानी से न धोएं : गर्म पानी त्वचा की प्राकृतिक नमी को कम कर सकता है. चेहरा धोने के लिए ठंडा या हल्का गुनगुना पानी इस्तेमाल करें.
चेहरे को तौलिए से रगड़ें नहीं : चेहरे को धोने के बाद उसे तौलिए से रगड़ने के बजाय मुलायम हाथों से थपथपाकर सुखा

2.टोनिंग (Toning)

टोनर का इस्तेमाल वैकल्पिक है: टोनर का इस्तेमाल हर किसी के लिए ज़रूरी नहीं होता है. अगर आपकी त्वचा तैलीय है या मुंहासे की समस्या है तो टोनर का इस्तेमाल फायदेमंद हो सकता है. लेकिन अगर आपकी त्वचा sensitive है या dry है तो टोनर का इस्तेमाल करने से बचें.
अल्कोहल-रहित टोनर चुनें: अगर आप टोनर इस्तेमाल करना चाहती हैं तो अल्कोहल-रहित टोनर का चुनाव करें. अल्कोहल त्वचा को रूखा बना सकता है. प्राकृतिक तत्वों वाला टोनर इस्तेमाल करना बेहतर होता है.

3.मॉइस्चराइजिंग (Moisturizing)

हल्का, पानी आधारित मॉइस्चराइजर लगाएं : गर्मियों में भारी क्रीम आपकी त्वचा को चिपचिपा बना सकती हैं. इसलिए हल्का, पानी आधारित मॉइस्चराइजर इस्तेमाल करें जो आपकी त्वचा को हाइड्रेट रखेगा.
ऑयल-फ्री मॉइस्चराइजर चुनें : तैलीय त्वचा के लिए ऑयल-फ्री मॉइस्चराइजर बेहतर विकल्प होता है. जेल या लोशन आधारित मॉइस्चराइजर आपकी त्वचा के लिए उपयुक्त हो सकते हैं.
सनस्क्रीन के साथ मॉइस्चराइजर का इस्तेमाल करें : कई मॉइस्चराइजर में पहले से ही SPF होता है. आप ऐसे मॉइस्चराइजर का इस्तेमाल कर सकती हैं जिसमें कम से कम SPF 30 हो.

4.एक्सफोलिएशन (Exfoliation)

सप्ताह में एक बार से ज्यादा स्क्रब ना करें :अत्यधिक स्क्रबिंग आपकी त्वचा को परेशान कर सकती है. मृत त्वचा कोशिकाओं को हटाने के लिए सप्ताह में एक बार हल्के स्क्रब का इस्तेमाल करें.
अपनी त्वचा के प्रकार के अनुसार स्क्रब चुनें: तैलीय त्वचा के लिए दानेदार स्क्रब उपयुक्त हो सकता है, जबकि संवेदनशील त्वचा के लिए क्रीमी स्क्रब बेहतर होता है.
एक्सफोलिएट करने के बाद मॉइस्चराइजर ज़रूर लगाएं: एक्सफोलिएशन के बाद त्वचा थोड़ी संवेदनशील हो सकती है, इसलिए मॉइस्चराइजर लगाना ज़रूरी होता है.

5.सन प्रोटेक्शन (Sun Protection)

हर रोज सनस्क्रीन लगाएं : चाहे धूप हो या ना हो, हर रोज कम से कम SPF 30 वाला ब्रॉड-स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन लगाना ज़रूरी होता है.
हर दो घंटे में सनस्क्रीन को दोबारा लगाएं: खासकर धूप में निकलने से पहले और हर दो घंटे बाद सनस्क्रीन को दोबारा लगाना ज़रूरी है.
छाता और सुरक्षा वस्त्रों का इस्तेमाल करें: धूप से बचने के लिए छाता, टोपी और धूप का चश्मा पहनें.

6.आहार और लाइफस्टाइल (Diet and Lifestyle)

पानी भरपूर मात्रा में पिएं : त्वचा को हाइड्रेट रखने के लिए दिन भर में भरपूर पानी पीना बहुत ज़रूरी होता है. 8 से 10 गिलास पानी रोज़ाना पीने की कोशिश करें.
फलों और सब्ज़ियों का सेवन बढ़ाएं : फल और सब्ज़ियों में विटामिन, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं जो त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं.
तली हुई चीज़ों और मीठे का सेवन कम करें : तली हुई चीज़ों और ज़्यादा मीठे का सेवन त्वचा के लिए नुकसानदायक होता है. इससे त्वचा तैलीय हो सकती है और मुंहासे निकल सकते हैं.
पर्याप्त नींद लें : नींद के दौरान शरीर खुद को रिपेयर करता है, इसलिए पर्याप्त नींद लेना त्वचा के स्वास्थ्य के लिए भी ज़रूरी है. रोज़ाना कम से कम 7-8 घंटे की नींद ज़रूर लें.
तनाव कम करें : तनाव का असर भी त्वचा पर दिखाई देता है. योग, मेडिटेशन या किसी भी ऐसी गतिविधि को करें जो आपको तनाव कम करने में मदद करे.

7.अतिरिक्त देखभाल (Extra Care)

फेस मास्क का इस्तेमाल करें : सप्ताह में एक या दो बार फेस मास्क का इस्तेमाल करना त्वचा को पोषण देने और उसकी चमक बढ़ाने में मदद करता है. अपनी त्वचा के प्रकार के अनुसार ही फेस मास्क चुनें.
होंठों की देखभाल करें: गर्मियों में होंठ भी रूखे हो सकते हैं. इसलिए सनस्क्रीन युक्त लिप बाम का इस्तेमाल करें और रात को सोने से पहले होंठों पर मॉइस्चराइजर या नारियल का तेल लगाएं.
रात को मेकअप हटाना न भूलें : रात को सोने से पहले मेकअप जरूर हटाएं. मेकअप लगा रहने से रोमछिद्र बंद हो जाते हैं और त्वचा को नुकसान पहुंचता है.

8.त्वचा विशेषज्ञ से सलाह लें (Consult a Dermatologist)

अगर आपको गंभीर त्वचा संबंधी समस्याएं हैं या आप अपनी त्वचा के प्रकार के बारे में अनिश्चित हैं, तो त्वचा विशेषज्ञ से सलाह लेना ज़रूरी है. त्वचा विशेषज्ञ आपकी त्वचा की जांच करके आपके लिए उपयुक्त स्किनकेयर रूटीन बता सकते हैं.

निष्कर्ष (Conclusion)

इन आसान से बदलावों और नियमित स्किनकेयर रूटीन को अपनाकर आप गर्मियों में भी अपनी त्वचा को स्वस्थ और खूबसूरत बनाए रख सकती हैं. याद रखें, हर किसी की त्वचा अलग होती है, इसलिए अपनी त्वचा की ज़रूरतों को समझें और उसी के अनुसार अपना स्किनकेयर रूटीन बनाएं. थोड़े से ध्यान और देखभाल से आप गर्मियों में भी निखरी हुई और चमकती हुई त्वचा पा सकती हैं!

त्रिफला चूर्ण

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चूर्ण: आयुर्वेद की बहुउपयोगी औषधि

आयुर्वेद की दुनिया में, जड़ी-बूटियों और पौधों का उपयोग विभिन्न प्रकार की बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है. इन जड़ी-बूटियों को कई रूपों में इस्तेमाल किया जाता है, जिनमें से एक है – चूर्ण (Churna).

चूर्ण शब्द का अर्थ होता है – बारीक पीसा हुआ पदार्थ. आयुर्वेद में, विभिन्न जड़ी-बूटियों, फलों, फूलों और मसालों को सुखाकर बारीक पीसकर चूर्ण बनाया जाता है. यह चूर्ण कई तरह की बीमारियों के लिए एक प्रभावी और प्राकृतिक उपचार के रूप में काम करता है.

त्रिफला चूर्ण: पाचन का त्रिकुटी

त्रिफला तीन फलों या जड़ी-बूटियों “हरिताकी(Haritaki), बिभीतकी(Bibhitaki)और अमलाकी(Amalaki)” का संयोजन है। आयुर्वेद में, इसे त्रिदोशिक रसायन के रूप में जाना जाता है, यानी एक चिकित्सीय एजेंट जो तीनों दोषों – कफ, वात और पित्त को संतुलित करता है। यह विटामिन सी जैसे एंटीऑक्सीडेंट का एक समृद्ध स्रोत है जो प्रतिरक्षा बनाने में मदद करता है। सोने से पहले खाली पेट त्रिफला की खुराक लेना इसके विषहरण गुण के कारण आंतरिक सफाई के लिए फायदेमंद हो सकता है। त्रिफला चूर्ण वजन घटाने में भी मदद करता है क्योंकि यह ऊर्जा सेवन और शरीर में वसा में महत्वपूर्ण कमी दर्शाता है। इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण के कारण इसका सेवन कुछ हृदय रोगों से भी सुरक्षा प्रदान करता है। त्रिफला चूर्ण को दूध के साथ लेने पर या त्रिफला कैप्सूल के सेवन से भी इसके रेचक गुण के कारण कब्ज से राहत मिलती है।

त्वचा की बनावट में सुधार लाने और इसके एंटी-एजिंग गुण के कारण त्वचा की लोच बढ़ाने के लिए त्रिफला और नारियल तेल का पेस्ट चेहरे पर लगाया जा सकता है। त्रिफला अपनी एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि के कारण आंखों के लिए भी अच्छा माना जाता है जो आंखों के स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करता है। त्रिफला विटामिन सी की उपस्थिति के कारण बालों के झड़ने को नियंत्रित करने में मदद करता है और खोपड़ी पर लगाने पर बालों के विकास को बढ़ावा देता है। त्रिफला सभी प्रकार की त्वचा के लिए सुरक्षित है, लेकिन अगर आपकी त्वचा शुष्क है, तो नारियल तेल के साथ त्रिफला का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। त्रिफला के अधिक सेवन से दस्त की समस्या हो सकती है।

त्रिफला के फायदे

1. कब्ज

त्रिफला सबसे आम आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन है जिसका उपयोग कब्ज से राहत पाने के लिए किया जाता है। कब्ज वात दोष के बढ़ने के कारण होता है। इसका कारण जंक फूड का लगातार सेवन, कॉफी या चाय का अधिक सेवन, रात को देर से सोना, तनाव और अवसाद हो सकता है। ये सभी कारक बड़ी आंत में वात को बढ़ाते हैं और कब्ज पैदा करते हैं। त्रिफला लेने से इसके रेचन (हल्के रेचक) और वात संतुलन गुणों के कारण कब्ज से राहत मिलती है।

सुझाव:
मात्रा: ½- 2 चम्मच त्रिफला पाउडर लें।
कैसे लें: कब्ज से छुटकारा पाने के लिए इसे सोते समय गुनगुने पानी के साथ निगल लें।

2. कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता

दिन-प्रतिदिन की स्वास्थ्य समस्याओं से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए त्रिफला का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। यह इसकी रसायन (कायाकल्प करने वाली) संपत्ति के कारण है।

सुझाव:
मात्रा: सुबह हल्का भोजन करने के बाद आधा से दो चम्मच त्रिफला चूर्ण शहद के साथ लें।
कैसे लें: अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए इसे रोजाना दोहराएं।

3. लीवर की समस्या

त्रिफला लीवर की समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है। आयुर्वेद के अनुसार लीवर का अग्नि (पाचन अग्नि) और पित्त दोष से घनिष्ठ संबंध है। अग्नि और पित्त दोष में किसी भी असंतुलन से लीवर ख़राब हो जाता है। त्रिफला का नियमित सेवन इसके त्रिदोष (वात-पित्त-कफ) संतुलन गुण के कारण अग्नि और पित्त को संतुलित करने में मदद करता है। यह अपनी रसायन (कायाकल्प करने वाली) प्रकृति के कारण लीवर को स्वस्थ और मजबूत रखता है।

सुझाव:
मात्रा: 2-3 चम्मच त्रिफला का रस लें।
कैसे लें: उतनी ही मात्रा में पानी डालें.
। इसे दिन में एक या दो बार खाना खाने से पहले पियें।

4. मोटापा

वजन कम करने के लिए त्रिफला सबसे सुरक्षित आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन में से एक है। वजन में वृद्धि अस्वास्थ्यकर खान-पान और जीवनशैली के कारण होती है, जिससे पाचन अग्नि कमजोर हो जाती है। इससे अमा का संचय बढ़ता है जिससे मेद धातु में असंतुलन पैदा होता है और परिणामस्वरुप मोटापा बढ़ता है। त्रिफला का सेवन इसके दीपन (भूख बढ़ाने वाला) और पचन (पाचन) गुणों के कारण अमा को दूर करने में मदद करता है। यह मेद धातु के असंतुलन को भी ठीक करता है। त्रिफला अपने रेचक (हल्के रेचक) गुण के कारण आंत से अपशिष्ट पदार्थ को भी बाहर निकालता है।

सुझाव:
मात्रा: ½- 2 चम्मच त्रिफला पाउडर लें।
कैसे लें: मोटापे को नियंत्रित करने के लिए इसे सोते समय गुनगुने पानी के साथ निगल लें।

5. त्वचा के लिए त्रिफला के फायदे

त्रिफला चूर्ण त्वचा की देखभाल के लिए एक बेहतरीन उपाय है। इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण त्वचा के लिए बेहद लाभकारी होते हैं, जो त्वचा को निखारने और उसकी लोच (elasticity) को बनाए रखने में मदद करते हैं। त्रिफला का सेवन करने से शरीर में फ्री रैडिकल्स को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे उम्र बढ़ने के लक्षण कम होते हैं।

सुझाव:
मात्रा: 1 चम्मच त्रिफला चूर्ण।
कैसे लें: त्रिफला और पानी का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाएं। इसे सूखने के बाद धो लें। इससे त्वचा में निखार आता है और झुर्रियों से बचाव होता है।

6. बालों के लिए त्रिफला के फायदे

बालों के झड़ने की समस्या से त्रिफला चूर्ण एक उत्तम समाधान है। त्रिफला में मौजूद अमलाकी (आंवला) विटामिन C का अच्छा स्रोत है, जो बालों के विकास को बढ़ावा देता है। इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण खोपड़ी के स्वास्थ्य को बनाए रखते हैं और बालों के झड़ने को रोकते हैं।

सुझाव:
मात्रा: 1-2 चम्मच त्रिफला चूर्ण।
कैसे लें: त्रिफला पाउडर का पेस्ट बनाकर खोपड़ी पर लगाएं। इसे 30 मिनट बाद धो लें। इससे बालों का झड़ना कम होता है और बालों का विकास होता है।

7. आंखों के स्वास्थ्य के लिए त्रिफला

त्रिफला चूर्ण आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए उपयोगी होता है। इसके नियमित सेवन से आंखों की थकान कम होती है और यह आंखों के स्वास्थ्य में सुधार करता है। त्रिफला का सेवन आंखों में जलन, सूजन और संक्रमण जैसी समस्याओं से भी राहत देता है।

सुझाव:
मात्रा: 1 चम्मच त्रिफला चूर्ण।
कैसे लें: रातभर पानी में त्रिफला चूर्ण भिगोकर रखें और सुबह उस पानी से आंखों को धोएं। इससे आंखों की थकान और जलन कम होती है।

निष्कर्ष:

त्रिफला चूर्ण आयुर्वेद की एक अद्भुत औषधि है जो शरीर के तीनों दोषों को संतुलित करने और संपूर्ण स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है। इसका नियमित सेवन न केवल पाचन तंत्र को मजबूत करता है, बल्कि यह त्वचा, बालों, आंखों और संपूर्ण प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए भी फायदेमंद है। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में त्रिफला को संजीवनी माना गया है जो बिना किसी दुष्प्रभाव के शरीर को दीर्घायु और स्वस्थ जीवन प्रदान करता है।

Amla Hair Care- आंवले का जादू, बालों को बनाएं लंबे, घने और खूबसूरत

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बालों को लंबा घना करना हो या टूटना कम करना हो, Amla hair care हर तरह से फायदेमंद है। ये बालों को प्राकृतिक रूप से स्वस्थ रखने का एक बेहतरीन उपाय है। चाहे आप आयुर्वेदिक नुस्खे अपनाएं या बाजार के हेयर केयर प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करें, आंवले का कमाल तो देखने को ही मिलेगा। बालों की कोई भी समस्या हो, आंवला उसका समाधान ज़रूर निकाल लेता है। आइए अब जानते हैं बालों के लिए आंवले के कुछ खास फायदे…

आंवले के बालों के लिए बेहतरीन फायदे

  1. आमला बालों की गिरावट का इलाज करता है।
  2. डैंड्रफ के उपचार के लिए आमला।
  3. पूर्वागेंधित बालों के इलाज के लिए आमला।
  4. बालों की वृद्धि के लिए आमला।
  5. आमला बालों को बाहरी नुकसान से बचाता है।
  6. बालों के झड़ने को कम करने के लिए आमला।
  7. आमला बालों की स्थिति को बेहतर बनाता है।

बालों में आंवला कैसे लगाएं? (amla hair care)

1. बाल और स्कैल्प के लिए आमला तेल का उपयोग करें।

आमला तेल कैसे तैयार करें, इसका विचार कर रहे हैं? आप सिर्फ आमला पाउडर के साथ प्राकृतिक नारियल तेल को गरम कर सकते हैं जब तक यह भूरा न हो जाए। इससे आपको उस समय आमला तेल मिलेगा जब यह ठंडा हो जाए जिसे आप स्कैल्प और बाल की जड़ों पर लगा सकते हैं।

अगर आप घर पर आमला तेल तैयार नहीं करना चाहते हैं, तो आप आयुर्वेदिक बाल उपचार के रूप में ब्रिगंदी हेयर तेल का उपयोग भी कर सकते हैं। यह तेल भारतीय आंवला (आमला), भृंगराज, और जास्वंती जैसे आयुर्वेदिक तत्वों से भरपूर है।

2. बालों पर आमला रस लगाएं।

आमला रस का उपयोग बालों के लिए एक प्रभावी बाल मजबूती उपचार के रूप में काम करता है। आमला रस सबसे सरल बाल टॉनिक है जो आपके बालों को उन सभी पोषक तत्वों से प्रदान करता है जिनकी आवश्यकता होती है। आमला रस कैसे बनाएं ताकि बालों की वृद्धि हो? यह सोचने से आसान है जितना कि आप सोचते हैं।

बस एक ताजा आंवला लें और उसके रस को एक कटोरे में निकालें। आप आंवले के रस में ताजा नींबू का रस भी मिला सकते हैं ताकि एक बाल टॉनिक बनाया जा सके। अपने अंगूठे के साथ सीधे स्कैल्प पर आंवले का रस लगाएं। इसे हल्के हाथों से मालिश करें और फिर लगभग एक घंटे तक छोड़ दें। एक हल्के shampoo के साथ धो दें।

3. मजबूत बालों की जड़ों के लिए आमला टॉनिक।

कोलेजन स्तर को बढ़ाने और बालों की वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए, अपने स्कैल्प पर ताजा आंवला लगाएं। आंवला पाउडर और पानी का उपयोग करके एक पतला आंवला रस या पेस्ट बनाएं। इस उपाय को अपने स्कैल्प पर लगभग 5 मिनट तक हल्के हाथों से मालिश करें, और इसे और अधिक 10 मिनट के लिए छोड़ दें। स्कैल्प स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए उत्तेजित किए गए शैम्पू और गुनगुने पानी से धोएं। आंवला को बादाम तेल के साथ उपयोग करने के लिए, आंवला जूस को बादाम तेल के साथ मिलाएं और इस मिश्रण को साथ में गरम करें। इस मिश्रण को एक बाल टॉनिक के रूप में स्कैल्प और बाल पर लगाएं।

4. अपने Hair Dye में आंवला इस्तेमाल करें।

आंवला और मेहंदी मिलकर एक बाल मास्क बनाते हैं जो केवल शीघ्र सफेद होने को रोकता है बल्कि चमक भी बढ़ाता है। जब भी आप बालों में मेहंदी लगाते हैं, तो उसमें आंवला पाउडर भी जोड़ें। यह बालों को रंगने में इसकी प्रभावकारिता को बढ़ाने में मदद करेगा और शीघ्र सफेद होने से रोकेगा।

5. मजबूत बालों के लिए आंवला और दही का Hair मास्क।

आंवला बाल पैक को बाल के लिए उपयोगी अन्य आयुर्वेदिक तत्वों के साथ मिलाकर बनाया जा सकता है। जिन सभी लोगों को यह सोचते हैं कि बालों के लिए आंवला पाउडर का उपयोग कैसे किया जाए, उत्तर है बाल मास्क और बाल पैक।

आंवला और दही को मिलाकर एक पोषणशील बाल मास्क बनाएं। दो चमच आंवला पाउडर को गरम पानी के साथ मिलाकर एक पेस्ट बनाएं। इस मिश्रण में एक चमच शहद और दो चमच दही मिलाएं। मास्क को अपने बालों पर एकत्रित रूप से लगाएं, और इसे 30 मिनट के लिए छोड़ दें। पुनः जीवंत और मजबूत बाल की तार के लिए गुनगुने पानी से धोएं।

गर्मियों में खुद को हाइड्रेट रखने के 10 आसान तरीके

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गर्मी का मौसम आते ही तेज धूप, लू और पसीना हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बन जाते हैं. पसीना निकलना शरीर को ठंडा रखने की एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन अत्यधिक पसीना निकलने से शरीर में पानी की कमी हो जाती है, जिसे डिहाइड्रेशन (Dehydration) कहते हैं. डिहाइड्रेशन से थकान, सिरदर्द, चक्कर आना, कब्ज जैसी कई समस्याएं हो सकती हैं. गर्मियों में स्वस्थ रहने के लिए शरीर को हाइड्रेट रखना सबसे ज्यादा जरूरी होता है.

आइए, इस ब्लॉग में हम गर्मियों में शरीर को हाइड्रेट रखने के 10 आसान तरीकों के बारे में जानते हैं:

1. पानी पिएं, भरपूर पानी पिएं (Paani piyen, bharpoor paani piyen)

यह तो सभी जानते हैं कि गर्मियों में खूब सारा पानी पीना चाहिए. लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर कितना पानी पिएं? असल में शरीर की पानी की जरूरत उम्र, वजन, शारीरिक गतिविधि आदि कई कारकों पर निर्भर करती है. एक सामान्य नियम के अनुसार, दिन भर में कम से कम 2-3 लीटर पानी पीना चाहिए. प्यास लगने का इंतजार न करें, बल्कि थोड़े-थोड़े अंतराल पर पानी पीते रहें. आप अपने साथ पानी की बोतल रखें ताकि आपको पानी पीना न भूले.

2. फलों और सब्जियों का सेवन बढ़ाएं (Phalon aur sabziyon ka sevan badhayen)

फल और सब्जियां पानी का अच्छा स्रोत होते हैं। इनमें पानी के साथ-साथ विटामिन, खनिज और फाइबर भी होते हैं जो शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक होते हैं। गर्मी में तरबूज, खीरा, खरबूजा, टमाटर, शिमला मिर्च, पालक, मेथी, पुदीना, धनिया, आदि फल और सब्जियां का सेवन बढ़ाएं। इनमें पानी की मात्रा अधिक होती है और ये शरीर को ठंडा रखने में मदद करते हैं।

फलों और सब्जियों का सेवन शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और थकान को दूर करता है। गर्मी में फल और सब्जियों का सेवन बढ़ाने से शरीर को हाइड्रेट रखने और स्वस्थ रहने में मदद मिलती है।

3. तरल पदार्थों का सेवन करें (Taral पदार्थों ka sevan karen)

गर्मी के मौसम में पसीने के कारण शरीर से पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स का नुकसान होता है। यदि आप पर्याप्त तरल पदार्थ नहीं पीते हैं, तो आपको निर्जलीकरण हो सकता है। निर्जलीकरण के लक्षणों में थकान, सिरदर्द, चक्कर आना और कब्ज शामिल हैं। गंभीर मामलों में, निर्जलीकरण से हीट स्ट्रोक हो सकता है, जो जानलेवा हो सकता है।

4. कैफीन और शराब का सेवन कम करें (Caffeine aur sharab ka sevan kam karen)

कैफीन और शराब दोनों मूत्रवर्धक हैं, जिसका अर्थ है कि वे आपके शरीर को अधिक तरल पदार्थ पेशाब करने का कारण बनते हैं। इसका मतलब है कि यदि आप इन पदार्थों का सेवन करते हैं, तो आपको हाइड्रेटेड होने की अधिक संभावना है।

गर्मियों में हाइड्रेट रहने के लिए, कैफीन और शराब का सेवन कम करने का प्रयास करें। इसके बजाय, पानी, पतला जूस और अन्य तरल पदार्थों का अधिक सेवन करें।

5. गर्म और तले हुए भोजन से परहेज करें (Garam aur tale hue bhojan se parhej karen)

गर्म और तले हुए भोजन शरीर को अंदर से गर्म करते हैं और पसीना बढ़ाते हैं, जिससे शरीर से पानी निकलता है। इन भोजनों को पचाने के लिए शरीर को अधिक ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है, जिससे शरीर में गर्मी बढ़ती है और पसीना अधिक आता है। पसीने के साथ शरीर से पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स निकलते हैं, जिससे निर्जलीकरण और थकान हो सकती है।

इसके बजाय, हल्के और ठंडे भोजन का सेवन करें, जैसे कि सलाद, दही, फल, और जूस। पानी और तरल पदार्थों का भरपूर सेवन करें, जैसे कि पानी, नींबू पानी, और छाछ।

6. सूती के ढीले कपड़े पहनें (Sooti ke dhile kapde pehnen)

सूती कपड़े हवादार होते हैं और पसीने को सोखने में मदद करते हैं, जिससे शरीर को ठंडा रखने में मदद मिलती है। ढीले कपड़े हवा के प्रवाह को बढ़ावा देते हैं, जो शरीर को ठंडा करने में भी मदद करता है। इसके अलावा, सूती कपड़े प्राकृतिक और त्वचा के अनुकूल होते हैं, जो उन्हें गर्म मौसम में पहनने के लिए आरामदायक बनाते हैं।

7. धूप से बचें (Dhoop se बचें)

गर्मियों में, तेज धूप से बचाव करना ज़रूरी है। धूप में ज़्यादा देर रहने से त्वचा जल सकती है, सनबर्न हो सकता है, और लू लगने का खतरा भी बढ़ जाता है। धूप से बचने के लिए, सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक बाहर निकलने से बचें। यदि आपको बाहर जाना है, तो टोपी, धूप का चश्मा, और सनस्क्रीन का उपयोग करें। सनस्क्रीन कम से कम SPF 30 का होना चाहिए, और इसे हर दो घंटे में फिर से लगाना चाहिए। हल्के रंग के, ढीले-ढाले कपड़े पहनें और भरपूर पानी पीते रहें।

8. घर पर ठंडे स्नान करें (Ghar par thande snan karen)

ठंडे पानी से नहाना शरीर को ठंडा रखने और हाइड्रेटेड रहने का एक अच्छा तरीका है। ठंडा पानी रक्त वाहिकाओं को सिकोड़ता है, जिससे शरीर का तापमान कम होता है। इसके अलावा, ठंडे पानी से नहाने से पसीना आता है, जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। ठंडे पानी से नहाने से त्वचा और बालों को भी फायदा होता है।

9. ठंडे कमरे में रहें (Thande kamre mein rahen)

ठंडे कमरे में रहने से शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है और पसीना कम आता है। पसीने से शरीर में पानी की कमी होती है, जिससे निर्जलीकरण हो सकता है। निर्जलीकरण से थकान, कमजोरी, सिरदर्द, चक्कर आना और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

10. सुबह खाली पेट गुनगुना पानी पिएं (Subah khaali pet gunguna pani piyen)

गर्मियों में हाइड्रेट रहने के लिए सुबह खाली पेट गुनगुना पानी पीना बहुत फायदेमंद होता है। यह शरीर को ठंडा रखने, पाचन क्रिया को बेहतर बनाने और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। गुनगुना पानी शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करता है, जिससे आपको गर्मी में कम प्यास लगती है। यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है और कब्ज जैसी समस्याओं से बचाता है। गुनगुना पानी शरीर में जमा विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में भी मदद करता है, जिससे आपको स्वस्थ और ऊर्जावान महसूस होता है।

Summer Hair Care : स्वस्थ और खूबसूरत बालों के लिए 10 टिप्स

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गर्मी का मौसम आते ही हम सब बेसब्री से इसकी खूबसूरती का इंतजार करते हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि गर्मी का मौसम हमारे बालों के लिए थोड़ा कठोर हो सकता है? तेज धूप, प्रदूषण, और नमी बालों को रूखा, बेजान और फ्रिzzy बना सकती है. इस मौसम में बालों की अतिरिक्त देखभाल ज़रूरी होती है.

इस ब्लॉग में, हम आपको गर्मियों में बालों की देखभाल के 10 आसान टिप्स बताएंगे, जिनकी मदद से आप अपने बालों को स्वस्थ और चमकदार बनाए रख सकती हैं.

1. ट्रिमिंग है जरूरी (Trimming is Necessary)

गर्मियों में  बालों की देखभाल (summer hair care) की पहली सीढ़ी है नियमित ट्रिमिंग. दोमुंहे बाल (split ends) बालों को कमज़ोर और बेजान बनाते हैं. ये बाल उलझते भी हैं और टूटने का खतरा भी बढ़ाते हैं. इसलिए, हर 6-8 हफ्ते में अपने बालों को ट्रिम करवाना ज़रूरी है. ट्रिमिंग न सिर्फ दोमुंहे बालों से छुटकारा दिलाती है बल्कि बालों को घना और हेल्दी दिखने में भी मदद करती है.

2. धूप से बचाव (Sun Protection)

जैसे हमारी त्वचा को धूप से बचाने के लिए सनस्क्रीन लगाना ज़रूरी होता है, वैसे ही बालों को भी धूप से बचाना ज़रूरी है. तेज धूप बालों को कमज़ोर करती है, उनकी नमी छीन लेती है और रंग फीका कर देती है. खासकर रंगे हुए बालों (colored hair) के लिए धूप से बचाव और भी ज़्यादा अहम हो जाता है. जब भी आप बाहर निकलें तो टोपी या स्कार्फ पहनें. आप ऐसे हेयर केयर प्रोडक्ट्स का भी इस्तेमाल कर सकती हैं जिनमें UV फिल्टर मौजूद हों. ये प्रोडक्ट्स बालों को सूरज की किरणों से होने वाले नुकसान से बचाते हैं.

3. स्विमिंग से पहले बालों को गीला करें (Wet Hair Before Swimming)

अगर आप स्विमिंग पूल में जाना पसंद करती हैं, तो स्विमिंग से पहले अपने बालों को साफ पानी से गीला कर लें. ऐसा करने से आपके बाल कम क्लोरीन और नमक सोखेंगे. क्लोरीन बालों को रूखा बनाता है और उनका रंग भी फीका कर सकता है. नमक का पानी भी बालों के लिए हानिकारक होता है. स्विमिंग के बाद बालों को अच्छे से धोना न भूलें. शैम्पू करते समय हल्का गुनगुना पानी इस्तेमाल करें और बालों को पूरी तरह से धो लें.

4. हाइड्रेटिंग शैम्पू और कंडीशनर का इस्तेमाल करें (Use Hydrating Shampoo and Conditioner)

गर्मियों में ज़्यादा पसीना आता है, जिससे स्कैल्प (scalp) ऑयली हो जाता है. लेकिन, बार-बार शैम्पू करने से बालों की प्राकृतिक नमी भी कम हो जाती है. इसलिए, गर्मियों में ऐसे शैम्पू का इस्तेमाल करें जो बालों को साफ करने के साथ-साथ उन्हें हाइड्रेट भी करे. हाइड्रेटिंग शैम्पू में ऐसे तत्व होते हैं जो बालों को अंदर से पोषण देते हैं और उन्हें रूखा होने से बचाते हैं. उसी तरह, कंडीशनर का चुनाव भी बालों के प्रकार के हिसाब से करें.  हफ्ते में कम से कम 2-3 बार बालों को धोएं और कंडीशनर का इस्तेमाल ज़रूर करें.

5. गर्म स्टाइलिंग टूल्स से बचें (Avoid Heat Styling Tools)

गर्मियों में बालों की देखभाल (summer hair care) के दौरान हीट स्टाइलिंग टूल्स को जितना हो सके कम इस्तेमाल करना चाहिए. ये टूल्स, जिनमें स्ट्रेटनर, कर्लिंग आयरन, हेयर ड्रायर और ब्लो ड्रायर शामिल हैं, बालों से नमी छीन लेते हैं, उन्हें कमज़ोर बनाते हैं और बालों के टूटने का खतरा बढ़ा देते हैं.

जब बालों में प्राकृतिक नमी कम हो जाती है, तो वो रूखे, बेजान और फ्रिzzy हो जाते हैं.  गर्मी का मौसम अपने आप ही बालों को रूखा बना देता है, इसलिए इस मौसम में और ज्यादा हीट का इस्तेमाल उनके लिए नुकसानदायक होता है.

6. डीप कंडीशनिंग का सहारा लें (Deep Conditioning)

गर्मियों के दौरान बालों को अतिरिक्त देखभाल की ज़रूरत होती है, खासकर जब बात बालों को पोषण देने की हो. यहीं पर डीप कंडीशनिंग की भूमिका अहम हो जाती है.  शैम्पू और कंडीशनर जहां बालों की सतह को साफ और पोषण देते हैं, वहीं डीप कंडीशनिंग बालों के गहरे हिस्सों तक पहुंचकर उन्हें गहरा पोषण देती है.

डीप कंडीशनर में तेल, मक्खन और प्रोटीन जैसे तत्व पाए जाते हैं, जो बालों को मजबूत बनाते हैं, उनकी रूखापन दूर करते हैं और उन्हें चमकदार बनाते हैं. गर्मियों में प्रदूषण, धूप और क्लोरीन बालों को काफी नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे वो कमज़ोर और बेजान हो जाते हैं. डीप कंडीशनिंग इस नुकसान की भरपाई करती है और बालों को फिर से स्वस्थ बनाती है.

7. हेयर ऑयल का जादू (The Magic of Hair Oil)

गर्मियों में बालों की देखभाल (summer hair care) के लिए हेयर ऑयल एक जादुई उपाय है. यह बालों को पोषण देता है, उन्हें मजबूत बनाता है और उनकी रूखापन दूर करता है. गर्मियों में तेज धूप, प्रदूषण और नमी बालों को काफी नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे वे कमजोर और बेजान हो जाते हैं. हेयर ऑयल इन नुकसानों से बचाता है और बालों को स्वस्थ और चमकदार बनाता है.

हेयर ऑयल में तेल, मक्खन और प्रोटीन जैसे तत्व पाए जाते हैं, जो बालों को अंदर से पोषण देते हैं और उन्हें मजबूत बनाते हैं. तेल बालों को रूखापन से बचाता है और उन्हें मुलायम और चमकदार बनाता है.

8. एंटी-फ्रिज़ सीरम (Anti-Frizz Serum)

गर्मी और नमी का मौसम बालों को फ्रिज़ी बना देता है. फ्रिज़ी बाल रूखे, बेजान और उलझे हुए दिखते हैं, जिससे उनका मैनेजमेंट करना काफी मुश्किल हो जाता है.

एंटी-फ्रिज़ सीरम एक ऐसा हेयर केयर प्रोडक्ट है जो फ्रिज़ी बालों को स्मूथ, चमकदार और मैनेज करने में आसान बनाता है. सीरम में सिलिकॉन और अन्य तत्व होते हैं जो बालों की सतह को चिकना करते हैं और फ्रिज़ को कम करते हैं.

9. हेयर मास्क का इस्तेमाल (Use Hair Mask)

गर्मियों में बालों को अतिरिक्त पोषण और देखभाल की आवश्यकता होती है, और हेयर मास्क इस आवश्यकता को पूरा करने का एक अद्भुत तरीका है। हेयर मास्क में प्राकृतिक तत्व होते हैं जो बालों को गहराई से पोषण देते हैं, उन्हें मजबूत बनाते हैं और उनकी चमक बढ़ाते हैं।

बाज़ार में कई तरह के हेयर मास्क उपलब्ध हैं, लेकिन आप घर पर भी आसानी से प्राकृतिक हेयर मास्क बना सकती हैं। दही, शहद, अंडे, एलोवेरा, नारियल का तेल, और जैतून का तेल कुछ ऐसे प्राकृतिक तत्व हैं जिनका इस्तेमाल आप हेयर मास्क बनाने के लिए कर सकती हैं।

हेयर मास्क लगाने से पहले अपने बालों को अच्छी तरह से धो लें और फिर मास्क को बालों और स्कैल्प पर लगाएं। मास्क को 15-20 मिनट के लिए रहने दें और फिर बालों को अच्छे से धो लें।

10. हेल्दी खान-पान अपनाएं (Eat a Healthy Diet)

जैसा कि हम जानते हैं, स्वस्थ और खूबसूरत बाल पाने के लिए सिर्फ बाहरी देखभाल काफी नहीं है. बालों को भीतर से भी पोषण की ज़रूरत होती है. गर्मियों में बाहर से तो धूप और प्रदूषण का सामना करना पड़ता है, ऊपर से अगर हम अपनी डाइट का ध्यान न रखें, तो बाल कमज़ोर हो जाते हैं और उनका विकास रुक सकता है. इसलिए, गर्मियों में अपनी खाने की आदतों में थोड़ा बदलाव लाकर आप अपने बालों को मजबूत और चमकदार बना सकती हैं.

गर्मी आपके बालों के लिए थोड़ी मुश्किल भरी ज़रूर हो सकती है, लेकिन अपनी दिनचर्या में कुछ बदलाव करके आप अपने बालों को स्वस्थ और खूबसूरत बनाए रख सकती हैं. हाइड्रेटिंग शैम्पू और कंडीशनर का इस्तेमाल करने, हीट स्टाइलिंग टूल्स को कम इस्तेमाल करने और नियमित रूप से डीप कंडीशनिंग करने जैसे इन 11 टिप्स को अपनाकर, आप गर्मियों में भी अपने बालों को बेहतर बनाए रखने में सफल रहेंगी. याद रखें कि अपने बालों को धूप से बचाएं, संतुलित आहार लें जिसमें बालों को पोषण देने वाले पोषक तत्व भरपूर मात्रा में हों, और शरीर और बालों को हाइड्रेट रखने के लिए खूब पानी पिएं. थोड़ी सी अतिरिक्त देखभाल के साथ, आपके बाल पूरी गर्मी स्वस्थ और चमकदार बने रह सकते हैं.

Summer Diet: लू से बचें, अपनाएं गर्मियों का ये 10 आसान आहार टिप्स

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गर्मी का मौसम आते ही तेज धूप और लू का सामना करना पड़ता है. ऐसे मौसम में स्वस्थ रहना और चुस्त-दुरुस्त बने रहना एक चुनौती है. लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है! इस ब्लॉग में हम आपको 10 आसान summer diet tips बताएंगे, जिन्हें अपनाकर आप गर्मी को मात दे सकते हैं और पूरे दिन एनर्जेटिक रह सकते हैं.

तो आइए जानते हैं वो 20 चीजें जो आपको गर्मियों में खानी चाहिए:

1. पानी पिएं भरपूर (Paani Piyein Bharpoor)

सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण नियम है भरपूर मात्रा में पानी पीना. दिनभर थोड़ी-थोड़ी देर में पानी पीते रहें. अपने शरीर के हिसाब से पानी पिएं, आमतौर पर हर दो घंटे में एक गिलास से ज्यादा पानी पीना फायदेमंद होता है.

2. हल्का खाएं, जल्दी पचाएं (Halka Khaayein, Jaldi Pachayen)

गर्मी में भारी और देर से पचने वाला खाना खाने से बचें. इसकी जगह दलिया, स्प्राउट्स, पोहा, उबले अंडे, सब्जी का ऑमलेट जैसे हल्के और जल्दी पचने वाले भोजन का सेवन करें. इससे आपका पेट भी अच्छा रहेगा और एनर्जी भी बनी रहेगी.

3. फलों का भरपूर सेवन (Falon ka Bharpoor Sevan)

मौसमी फलों जैसे तरबूज, खरबूजा, खीरा, संतरा, मौसमी, पपीता, आम (कच्चा), लीची आदि का भरपूर सेवन करें. ये फल पानी से भरपूर होते हैं और शरीर को ठंडा रखने में मदद करते हैं. फलों को सुबह नाश्ते में या फिर शाम के नाश्ते के रूप में खाना ज्यादा फायदेमंद होता है.

4. सब्जियां रहें साथ (Sabziyan Rahein Saath)

अपनी डाइट में सब्जियों को जरूर शामिल करें. लौकी, करेला, तुरई, टमाटर, पालक, मेथी, पुदीना जैसी हरी सब्जियां पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं और गर्मियों में शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करती हैं. सब्जियों को उबालकर या भाप में पकाकर खाना ज्यादा फायदेमंद होता है.

5. ठंडी तासीर वाले फायदे (Thandi Taaseer Wale Fayde)

आयुर्वेद के अनुसार खीरा, तरबूज, खरबूजा, दही, छाछ, नारियल पानी, खसखस और सौंफ जैसी चीजों की तासीर ठंडी होती है. गर्मी के मौसम में इन्हें अपने आहार में शामिल करने से शरीर अंदर से ठंडा रहता है.

6. नारियल पानी है रामबाण (Nariyal Pani Hai Rambaan)

नारियल पानी गर्मियों में रामबाण की तरह काम करता है. यह शरीर को जरूरी इलेक्ट्रोlytes प्रदान करता है और डिहाइड्रेशन से बचाता है. खासकर बाहर निकलने से पहले नारियल पानी पीना बहुत फायदेमंद होता है.

7. दही का सेवन फायदेमंद (Dahi ka Sevan Faydemand)

दही पाचन के लिए बहुत अच्छा होता है. साथ ही, इसमें मौजूद प्रोबायोटिक्स पेट को स्वस्थ रखते हैं. आप दही को लंच के बाद या रात के खाने के साथ खा सकते हैं.

8. मेथी की तासीर है ठंडी (Methi ki Taaseer hai Thandi)

मेथी की तासीर ठंडी होती है. आप इसका सेवन सब्जी के रूप में या दाल में तड़का लगाकर कर सकते हैं.

9. मीठा कम, स्वाद ज्यादा (Meetha Kam, Swaad Zyada)

गर्मी में ज्यादा मीठा खाने से बचें. मीठे की जगह फलों का सेवन करें, जो प्राकृतिक मिठास और जरूरी पोषक तत्व भी प्रदान करते हैं.

10. मीठे और तले हुए खाने से परहेज करें (Meetha aur Tlaa Hua Khane se Parhej Karein)

गर्मी में मीठा और तला हुआ खाने से परहेज करें. इससे शरीर में गर्मी बढ़ती है और सुस्ती आती है.

सनबर्न (Sunburn) क्या है?

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गर्मियों का मौसम आ गया है, और यह मतलब है कि बाहर जाकर सूरज का आनंद लेने का समय आ गया है। लेकिन गर्मियों के मौसम के दौरान बाहर समय बिताने के वह सभी घंटे के साथ, एक अपरिहार्य चीज आती है: सनबर्न (Sunburn)। सनबर्न  एक प्रकार का विकिरण जलाव है जो जीवित ऊतक, जैसे कि त्वचा, पर प्रभाव डालता है, जो अत्यधिक अल्ट्रावायोलेट (UV) विकिरण के अत्यधिक प्रदर्शन से होता है, सामान्यतः सूर्य से। जब आपको सनबर्न  मिलता है, तो सूर्य से! अल्ट्रावायोलेट (UV) किरण आपकी त्वचा को जलाते हैं।

सनबर्न Sunburn प्राप्त करने के लिए आपको समुद्र तट या पूल में पूरे दिन बिताने की आवश्यकता नहीं है। कुछ लोग सनस्क्रीन का उपयोग न करके रोजाना काम करते समय सनबर्न  प्राप्त करते हैं, जैसे कि बाहर लंच ब्रेक लेना, बागवानी या कुत्ते को बाहर ले जाना। कई सनबर्न  होने से त्वचा की पूर्ववयस्कता और त्वचा कैंसर का खतरा हो सकता है। आप अपनी त्वचा की सुरक्षा के लिए हर दिन कदम उठाकर सनबर्न  के जोखिम को कम कर सकते हैं। जब भी आप बाहर समय बिताते हैं, तो अपने सूर्य प्रकाश के संपर्क का ध्यान देना महत्वपूर्ण है।

यह शरीर का सीधा प्रतिक्रिया है जो यूवीबी प्रकाश से होने वाले सीधे डीएनए क्षति का। यह क्षति मुख्य रूप से थाइमीन डाइमर का गठन होता है। शरीर द्वारा इस क्षति को पहचाना जाता है, जिसके बाद वह कई संरक्षण तंत्रों को सक्रिय करता है, जिसमें क्षति को पूर्ववत करने के लिए DNA मरम्मत, अपोप्टोसिस और अनपरिवर्तित त्वचा को हटाने के लिए छिलान शामिल हैं, और भविष्य की क्षति से बचने के लिए बढ़ा हुआ मेलेनिन उत्पादन। मेलेनिन यूवी तरंग विकिरण को त्वरित रूप से अवशोषित करता है, फोटोप्रोटेक्टेंट के रूप में काम करता है। यूवी फोटों को रासायनिक बंधों को अप्रभावित करके, मेलेनिन DNA का सीधा परिवर्तन, साथ ही फ्री रेडिकल्स के उत्पन्न होने को रोककर, उन्हें इंदिरेक्ट रूप से DNA को क्षति पहुंचाने से रोकता है।

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सनबर्न  एक शिथिलता प्रक्रिया का कारण है जो प्रोस्टैनॉइड्स और ब्रेडीकिनिन के उत्पादन को शामिल करता है। ये रासायनिक यौगिक उत्पादों को गर्मी के प्राप्तकर्ता (TRPV1) की सक्रियण की हद को 109 °F (43 °C) से 85 °F (29 °C) तक कम करके गर्मी के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ाते हैं।

त्वचा का प्रकार सनबर्न  की आसानी का निर्धारण करता है। ज्यादातर सूर्य के अल्ट्रावायोलेट (UV) विकिरण के प्रकाशन के बाद धूप या गहरे त्वचा रंग वाले लोगों के पास सनबर्न  का अधिक जोखिम होता है। फिट्जपैट्रिक की त्वचा फोटोटाइप्स श्रेणी त्वचा के यूवी विकिरण के प्रति प्रतिक्रियाओं की सामान्य विविधताओं का वर्णन करती है। प्रकार I त्वचा वाले व्यक्ति का सबसे अधिक क्षमता है कि सनबर्न  हो सकता है, और प्रकार VI के पास जलने की सबसे कम क्षमता है। हालांकि, सभी त्वचा प्रकार सनबर्न  विकसित कर सकते हैं।

सनबर्न  के प्रकार क्या हैं?

स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की तरफ से त्वचा के क्षति की गंभीरता के आधार पर सनबर्न  को समूहित किया जाता है। सनबर्न  के दो सबसे सामान्य प्रकार हैं:

प्रथम-डिग्री का सनबर्न : आपकी त्वचा की बाह्य परत को नुकसान होता है। यह आमतौर पर कुछ दिनों से एक सप्ताह में स्वयं ठीक हो जाता है।

द्वितीय-डिग्री का सनबर्न : आपकी त्वचा के बीच का भाग क्षति होता है (दर्मा)। सनबर्न  त्वचा पर फोड़े बनेंगे। आपकी त्वचा को स्वयं ठीक होने में हफ्तों लग सकते हैं और आपको चिकित्सीय सहायता की आवश्यकता हो सकती है।

तृतीय-डिग्री का सनबर्न : बहुत ही दुर्लभ होता है और आपातकालीन उपचार की आवश्यकता होती है। यह आपकी त्वचा की सभी परतों को गंभीर नुकसान पहुंचाता है, सहित है आपकी त्वचा के नीचे चर्बी की परत। यहाँ तक कि यह नसों को भी नष्ट कर सकता है। अधिकांश तृतीय-डिग्री जलनें रासायनिक जलन या आग से होती हैं और सूर्य किरणों से नहीं।

सनबर्न  को आपकी त्वचा की परतों की गहराई के आधार पर उनके नाम (प्रथम-डिग्री, आदि) मिलते हैं। जितना भयानक आपका सनबर्न  होगा, उतना ही गहराई में नुकसान होगा।

आप आमतौर पर प्रथम और द्वितीय-डिग्री के सनबर्न  को घर पर इलाज कर सकते हैं। तृतीय-डिग्री के सनबर्न  बहुत ही दुर्लभ होते हैं लेकिन उन्हें आपातकालीन उपचार की आवश्यकता होती है। एक सनबर्न  प्राकृतिक त्वचा के बुढ़ापे और त्वचा कैंसर का कारण बन सकता है। आप अपनी त्वचा की सुरक्षा के लिए कदम उठाकर सनबर्न  के जोखिम को कम कर सकते हैं।

लक्षण

पहले डिग्री का सनबर्न  के लक्षण

  • हल्की त्वचा पर लालिमा। गहरी त्वचा वाले लोग सनबर्न  हो सकते हैं, लेकिन यह उन्हें मुश्किल से दिखाई देता है जब तक वे छील या फुफ्फुस न करें।
  • त्वचा गरम या कसकी हुई लगती है।
  • दर्द या संवेदनशीलता।
  • सूजन।
  • त्वचा का छिलना (कुछ दिनों बाद)।

दूसरे डिग्री का सनबर्न  के लक्षण

  • अत्यधिक लाल त्वचा।
  • फुंसियाँ।
  • बड़े क्षेत्र पर सूजन।
  • गीली दिखने वाली त्वचा।
  • दर्द।
  • सनबर्न  के भीतर सफेद रंग का अविकलन।

तीसरे डिग्री का सनबर्न  के लक्षण

  • चमड़े की तरह दिखने वाली जलन।
  • सुन्न त्वचा।
  • सफेद या धुंधला त्वचा रंग।
  • ऊपर दिए गए उष्णता रोग के लक्षण समेत शोक और/या गरमी का दौरा समाहित है।

रोकथाम

अगर आप ऊँची त्वचा, दाग-धब्बे, नीली आंखें, या लाल या भूरे बाल रखते हैं, तो आप सनबर्न  के ज्यादा खतरे में हैं।

  • ऊँचाई या क्षेत्र के पास रहें या समय बिताएं।
  • आउटडोर में खेलते हों या तैराकी करते हों।
  • नाविक या मछली पकड़ने या पैडलबोर्डिंग जैसी गतिविधियों में समय बिताते हैं।
  • नियमित रूप से धूप लेते हैं।
  • बाहर काम करते हैं।
  • टैनिंग बेड का उपयोग करते हैं।